विराट का सबसे तेज़ शतक को अच्छे से समझें

16 अक्टूबर 2013 को विराट कोहली ने जयपुर में शानदार पारी खेली। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिर्फ 52 गेंदों में शतक लगाया, जिससे सभी हैरान रह गए। यह वनडे क्रिकेट में उनका सबसे तेज़ शतक था और उनकी गिनती चेज़ मास्टर के रूप में होने लगी।

कोहली को दुनिया के महान क्रिकेटरों में से एक माना जाता है। वह अपनी निरंतरता, धैर्य और मुश्किल लक्ष्य को हासिल करने की क्षमता के लिए मशहूर हैं। यह पारी अब भी उनकी सबसे खास पारियों में गिनी जाती है, जिसने उनके करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

विराट का सबसे तेज़ शतक

विराट कोहली को विश्व के ऐसे बल्लेबाजों में गिना जाता है। जिसका विकेट लेने के लिए गेंदबाजों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। विराट ने जब से टीम इंडिया के लिए खेलना शुरू किया तब से उन्होंने हर फॉर्मेट में भारत के लिए रन बना के दिए हैं। चाहे वो टी-20 हो या फिर वनडे या टेस्ट। लेकिन हाल फिलहाल में ही उन्होंने टी-20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद इस फॉर्मेट से सन्यास की घोषणा कर दी।

लेकिन उसके बाद भी विराट का कद कम नहीं हुआ। वो आज भी उसी तरह खेल रहे हैं, जैसा की उनका शुरूआती सफर था। लेकिन बीच में एक ऐसा समय भी आया था जब इस महान खिलाड़ी के बल्ले से रन नहीं बन रहा था। लेकिन वो कुछ दिन के लिए था। यहाँ हम उनके सबसे तेज शतक के बारे में जानेंगे, जो उन्होंने किसी अन्य टीम नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ बनाया था।

विराट का सबसे तेज़ शतक | स्टैट्स

गेंदों का सामना

52 गेंदें

बनाए गए रन

100*

बॉउंड्री

8 चौके, 7 छक्के

स्ट्राइक रेट

192.30

कोहली का शतक इतना खास क्यों था?

कुछ शतक खिलाड़ी और टीम दोनों के लिए बहुत खास होता है। ठीक वैसे ही कोहली का ये शतक बेहतरीन था और ख़ास भी। लेकिन इसे खास क्यों माना गया, आइये इसे जानते हैं :

दबाव में आया था शतक

वनडे मैच में 360 रन का पीछा करना आसान नहीं होता। जब भारत को तेजी से रन बनाने की जरूरत थी, तब कोहली ने शानदार खेल दिखाया और मैच का रुख बदल दिया। उनकी शांत सोच और आक्रामक बल्लेबाजी ने दिखाया कि वह दबाव में भी संयम बनाए रखते हैं।

बेहतरीन चेज मास्टर वाली काबिलियत

कोहली के नाबाद 100 रन ने उन्हें क्रिकेट का बेहतरीन चेज़र बना दिया। उनकी तेज़ी से खेल बदलने, हालात के अनुसार ढलने और आत्मविश्वास के साथ मैच खत्म करने की क्षमता ने इस पारी को खास बना दिया। यह पारी आज भी यादगार मानी जाती है।

भारतीय क्रिकेट के लिए एक मील का पत्थर

इस मैच से पहले भारत ने कभी भी 350 से ज्यादा रन का लक्ष्य सफलतापूर्वक हासिल नहीं किया था। लेकिन कोहली की शानदार बल्लेबाजी ने इतिहास बदल दिया। उनकी इस पारी ने भारतीय क्रिकेट के लिए बड़े स्कोर का पीछा करने का एक नया रिकॉर्ड और मानक स्थापित कर दिया।

कोहली के करियर पर प्रभाव

कोहली का सबसे तेज़ शतक उनके करियर का खास पल था। इसने दिखाया कि वह अकेले दम पर मैच का रुख बदल सकते हैं। इसके बाद उनका करियर ऊंचाइयों पर पहुंचा। उन्होंने वनडे में सबसे तेज़ 8,000 से 11,000 रन पूरे किए और सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गजों को पीछे छोड़ा।

समापन विचार

विराट का सबसे तेज़ शतक उनके करियर के लिए कितना अहम साबित हुआ, इसके बारे में जानकारी आपको इस लेख में दी हुई है और साथ में बताया गया है कि क्यों ये पारी अहम थी। ऐसे और भी बल्लेबाजो के बारे में अगर आपको जानकारी लेनी है तो उसके लिए आप FOMO7 (फोमो7) के ब्लॉग्स पढ़ सकते हैं।

सामान्य प्रश्न

विराट कोहली ने 16 अक्टूबर 2013 को जयपुर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सबसे तेज़ वनडे शतक बनाया था।

इस पारी में उन्होंने 8 चौके और 7 छक्के लगाए थे।

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